अगर आप जीवन में दिशा, प्रेरणा और शांति की तलाश में हैं,
तो पढ़िए भगवान श्रीकृष्ण के ये गीता श्लोक अर्थ सहित।
हर श्लोक में छिपा है एक ऐसा सत्य, जो मनुष्य को ईश्वर से जोड़ता है।
🌿 श्लोक 1
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥
(गीता 2.48)
अर्थ:
हे अर्जुन! सफलता या असफलता में समभाव रखकर योग में स्थित होकर कर्म करो। यही समत्व भाव ही योग कहलाता है।
🌿 श्लोक 2
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा
न्यान्यानि संयाति नवानि देही॥
(गीता 2.22)
अर्थ:
जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्र धारण करता है, वैसे ही आत्मा पुराने शरीरों को छोड़कर नए शरीर धारण करता है।
Bye Bhagat Geeta Book
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